Corona || ग्राउंड रिपोर्ट || अनमोल जिंदगी को बेमोल मत गंवाना
Corona महात्मा गांधी ने कहा था… यदि आपको भारत जानना है तो गांवों में भ्रमण करें, क्योंकि भारत गांवों में बसता है..!!
Corona वाइरस जनित वैश्विक बिमारी 2020 में भारत में दस्तक दी तो कुछ महानगरों में स्थिति खराब होने लगी तो सरकार ने लॉक डाउन लगाकर इसके नियंत्रण के लिए Pro-active उपाय अपनाएं ….साथ ही टीकों के अनुसंधान से निर्माण तक और उत्पादन से टीकाकरण तक की दौड़ भाग की …. बदलते मौसम में संक्रमण दर भी घटती बढ़ती गई…..
गांवों में बसते लोगों ने इसको प्रत्यक्ष रूप से नहीं देखा तो मृगमिरीचिका मानते हुए झूठा प्रोपागेंडा ही माना …..वो अपनी जगह ठीक भी थे क्योंकि जो सच्चाई आंखों के सामने आए वहीं पूर्ण सच होता है लिहाज़ा वे बेखबर ही रहे ….या यूं कहें तो ज्यादा गंभीरता से बिमारी और सरकारी गाइडलाइंस को नहीं लिया… वैसे जरूरत भी नहीं थी…!!
लेकिन Corona…??
Corona की दूसरी लहर ने भारत की रीढ़ की हड्डी कहीं जाने वाली ग्रामीण भारत की दो तिहाई आबादी तक पहुंच बनाई और आधुनिकता के परे सामान्य देशी अंदाज में जीवन जीने वाले के जन-जीवन को झंकझोर सा दिया….. शुद्ध खान-पान व प्रकृति की गोद में बैठे ये लोग कोरोना जैसे बहरूपिया से मात खाने लगे…..सांसों को गिरफ्त में लेने वाली यह घातक बिमारी उन्हें अस्पतालों की जरूरत को महसूस करा दिया….
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Corona नहीं तो ये लोग मौसमी बदलाव के रूप में शारीरिक बदलाव को देखते हुए कुछ घरेलू नुस्खों के सहारे काढ़ा बनाकर ले लेते और प्रायः ठीक भी हो जाते…. मार्च से अब तक यानी करीब दो माह से अधिक समय में करीब करीब हरेक गांव मे कोरोना वाइरस ने अपनी पहुंच बना ली …!!
इन मौतों का सटीक आंकड़ा तो CSO के द्वारा स्थानीय निकायों से जन्म-मृत्यु पंजीयन के आंकड़ों से लिया जा सकेगा या फिर अगली जनगणना से… जनगणना में तो यह भी संभव है कि सरकारी रिकॉर्ड व वाहावाही के चलते जनसंख्या नियंत्रण की दुहाई दी जाए
परन्तु हकीकत है जो केवल महसूस की जा सकती है Corona
परंतु हकीकत है जो केवल महसूस की जा सकती है …. वर्तमान हकीकत तो यही है कि गांवों में संक्रमण की दर बेहद ज्यादा है और मौत भी…. लेकिन Corona जांच में कमी और अस्पताल में भर्ती न होने से इसकी पुष्टि नहीं हो पा रही है….!!
कोरोना के गांवों में संक्रमण के कारण के तौर पर शहर से गांव तक आते-आते लोग…शहर में रोजगार करने वाले लोग…फसल कटाई के उपरांत शादी समारोह व उत्सव आयोजन और विभिन्न स्थानों पर होने वाले चुनाव मुख्य कारण रहे…!!
एक बड़ा कारण लोगों की अनदेखापन है तो कोरोना की जांच और इसकी जागरूकता की कमी होना है…..साथ ही अखबारों और टीवी चैनलों के साथ साथ सोशल मीडिया पर अस्पतालों और श्मशान घाटों पर दाह संस्कार दिखाती रिपोर्ट्स के कारण बना भय जिसमें एक गरीब देहाती परिवार घर पर ही जीना मरना चाहता है…
और अस्पतालों में बेड ऑक्सीजन और प्लाज्मा की किल्लत और इनके चलते बढ़ा भ्रष्टाचार जो दो जून रोटी की हैसियत रखने वाले की जिंदगी को अनमोल से बेमोल तक ले जाता है ….!!
अस्पतालों में बेड ऑक्सीजन
सरकारी आंकड़ों के अनुसार हो रही मौतें संख्यात्मक रूप से जो दिखलाई जा रही है वे शायद बेहद कम है क्योंकि गांवों में लोगों के मौत की सूचना सोशल मीडिया पर पहुंच रही है जो यह बतलाती है कि जिस जिले में 10 मौत दिन में बतायी जा रही है वहीं 10 गुनी मौत जरूर हुई है जो श्मशान में जलती चिताओं से वह मृतक के घर शोक सभा के रूप में महसूस की जा सकती है…
ग्रामीण भारत के लोगों जो भारत का इंजन भी है और भारत निर्माण के सच्चे वाहक भी आपसे निवेदन रहेगा कि आप इस राष्ट्रीय आपदा के समय अपने आप को सतर्क रखें …. सरकारी गाइडलाइंस की अनुपालना करें…. कुछ दिनों की बात है हम फिर खड़े होंगे और सरपट दौड़ती जिंदगी होगी जहां उमंग और उत्साह होगा … हरेक कमी को पूरा करेंगे ….बस जो हमारा अपना बिछड़ जाएगा उसकी पूर्ति नहीं कर पाएंगे…!!
अपनी और अपनों के जीवन की खुशहाली के लिए घर पर रहें …. सुरक्षित रहें..!!
सतर्क रहें… स्वस्थ रहें….मस्त रहें..!!!
ध्यान दे अगर आप दुकानदार है या फिर आप किसी ऑफिस, मौल, वर्कशॉप के ऑनर है तो अपने शॉप पर अग्निसमन यंत्र यानि आग बुझाने का सिलेंडर जरुर रखे … इसमे सबसे बड़ी प्रोब्लम ये होती है की कहा से ख़रीदे, कैसे ख़रीदे
.....✍? मुकेश रणवाॅ