DTS Mafia || DTS माफिया || किसानो की बढती नई समस्या क्या है
DTS माफिया,
DTS किसी व्यवस्था को अपने नियंत्रण में रखकर जनता को डरा धमकाकर सत्ता का संरक्षण लिए ऐसे लोग जिनका उद्देश्य महज जनता का शोषण करना होता है…. माफिया कहलातें है।।
राजस्थान पुलिस के पूर्व कप्तान की एक रिपोर्ट में राज्य भर में करीब दो दर्जन माफिया समूहों का जिक्र किया गया था जिसमें शराब माफिया, भू-माफिया,दवा माफिया, जैसे अनेकों संगठित माफिया समूहों का जिक्र किया था….जो आमजन को डरा-धमका कर शोषण करते हैं और इस शोषण का चंद अंश शासन प्रशासन को बांट दिया जाता है ताकि वो आंख मूंदकर बहरे बनकर कर्तव्य निर्वहन पर पर्दा डाल सके…!!
शेखावाटी अंचल विशेषकर धोद विधानसभा क्षेत्र में एक माफिया गिरोह आज-कल बेहद चर्चित है वह है बोरवेल करने वाली …DTS माफिया गिरोह।।
जी हां माफिया गिरोह
शायद यह नाम किसी व्यवसाय या पेशे में संलग्न उद्यमी के लिए उचित नहीं लगता है …. मैं भी इस बात के पक्ष में हूं …. किसी व्यवसाय में अपनी सेवा या उत्पाद की कीमत लगाने का अधिकार सेवा प्रदाता या उत्पादक के पास ही होता है…. होना भी चाहिए… लेकिन..?
RBI ने IMPS को लेकर किया बदलाव,अब 5 लाख तक ट्रांजेक्शन होगा
जब सेवा प्रदाता या उत्पादक किसी क्षेत्र विशेष में अपना ही उत्पाद या सेवा बेचे और दूसरे प्रतिस्पर्धी को उस क्षेत्र में व्यापार करने से रोके ….तो यह मेरी नज़र में माफिया गिरोह में शामिल नजर आता है…!!
एक उदाहरण से समझते हैं
पंखा बनाने वाली बजाज कम्पनी अपनी कंपनी का पंखा 1500 रूपए में बेचे और उसी क्वालिटी का पंखा ओरिएंट कंपनी 1800 में बेचे और तीसरी कंपनी हेवल्स 1900 में बेचे तो ग्राहक अपनी सुविधा या मनोदशा के अनुसार एक विकल्प को चुनेगा…. यदि ऐसा हो जाए कि हेवल्स कम्पनी 1900 का पंखा 2100 में बेचे और उस शहर में दूसरी कंपनियों को आने ही न दे … शोरूम तोड़े ग्राहकों को डराए धमकाए तो कैसा लगेगा… ठीक ऐसा ही ये माफिया गिरोह वाले लोग किया करते हैं।।
किसी को चाहिए कि 5 रूपए वाला पारले जी बिस्किट खाएं या फिर 10 रूपए वाला गुड-डे या फिर 25-30 रूपए कीमत वाला अन्य बिस्किट… तो वह अपनी इच्छानुसार चयन कर सके … यदि इनमें से कोई एक कंपनी एकाधिकार पूर्ण ऐसा व्यवहार करें तो लाजमी है कि उसे माफिया गिरोह ही कहा जाएगा… बाजार को ग्राहक और उत्पादकों के लिए खुला छोड़ना चाहिए ताकि व्यवसायी भी प्रतिस्पर्धा में रहे और ग्राहकों को भी सही वस्तु मूल्य में विकल्प मिल सके…!!
DTS गिरोह
धोद क्षेत्र में DTS गिरोह के सरगनाओं की स्कार्पियो और कैंपर गाडियां सरपट दौड़ती नजर आती है जिनमें डराने-धमकाने के लिए छोटे मोटे सब हथियार और लठैत मौजूद रहते हैं जो किसानों से लेकर बाहर से आने वाले स्वतंत्र DTS मालिकों को डराने-धमकाने से लेकर मारपीट तक उतारू रहते हैं….!!
करीब दो माह पूर्व 130-160 रूपए प्रति फ़ीट की दर से बोरिंग करने वाले इस गिरोह के सरगनाओं ने एकाएक 230-240 रूपए प्रति फीट कर दिए हैं जो शायद अप्रासंगिक नजर आते हैं…. जिससे किसान के बोरिंग करवाने में 20 हजार से 40 हज़ार तक का औसतन खर्च बढ़ गया है….!!
ऐसा तो नहीं कि इस बढ़ी हुई राशि का हिस्सा प्रशासन और राजनीतिक हलकों तक पहुंच रहा हो … पूर्व में डार्क ज़ोन के प्रतिबंधो के समय बोरवेल खुदवाया जाना गैरकानूनी था लिहाज़ा इस समय तो शासन प्रशासन की शह पर पर्दे के पीछे ये DTS माफिया गिरोह खूब फले-फूले … लेकिन अब प्रतिबंधों के हटने के बाद बाहूबल के सहारे धीरे-धीरे पांव पसार रहे हैं…!!
आमजन
आमजन को शासन प्रशासन की दखल के साथ एक जागरूकता के सहारे इस संगठित गिरोह का भांडाफोड भी करना होगा और विशुद्ध व्यापार का सम्मान भी करना होगा….. DTS मालिकों को भी चाहिए कि वे मध्यम मार्ग पर चलने की कोशिश करें ताकि आपका व्यवसाय भी चलता रहे और किसानों का शोषण भी न हो…!!.
DTS माफियाओं की सद्बुद्धि की कामना व आमजन में जागरूकता के संचार की कामना लिए एक भावुक अपनी …
“जितना भी कमाइए, ईमानदारी से कमाइए;
सिर्फ पैसा ही नहीं, दुआएं भी कमाइए.!!”
ध्यान दे अगर आप दुकानदार है या फिर आप किसी ऑफिस, मौल, वर्कशॉप के ऑनर है तो अपने शॉप पर अग्निसमन यंत्र यानि आग बुझाने का सिलेंडर जरुर रखे … इसमे सबसे बड़ी प्रोब्लम ये होती है की कहा से ख़रीदे, कैसे ख़रीदे …….तो इसका लिंक दिया गया जहा से आप इसे खरीद सकते हो
….✍️ मुकेश रणवाॅ
You have a great blog and also there is a lot of excellent details here!.