गलवान घाटी क्या है, पूरी जानकारी || Galwan Valley || Galavan Ghatee
Galavan Ghatee.. भारत व चीन की सेनाये आमने सामने है, जगह है लद्धाख की Galavan Ghatee. दोनों सेनाओ के मध्य झड़प भी हुई, कुछ नुकशान भारत का हुआ तो चीन को इसका खामियाजा कुछ ज्यादा ही भुगतना पड़ा. अक्साई चीन पर भारत की बदलती रणनीति की वजह है, की भारत अब मुखर हो गया है भारत जिन जगहों पर अपना अधिकार बताता रहा है अब उन पर अधिकार जता भी रहा है. इसलिए Galavan Ghatee काफी चर्चा में है और इसके बारे में सभी जानना चाहते है तो आइये देखते है गलवान क्यों.. क्या.. केसे..
कैसी है, गलवान घाटी || Galavan Ghatee
समुंद्रतल से 4300 मीटर की उचाई पर स्थित Galavan Ghatee का तापमान हमेशा जीरो से निचे रहता है दूर दूर तक फेले उचे पहाड़, गलवान नदी की धाराये, बर्फ से जमी चटाने, स्वच्छ हवाये, नीला आसमान …इसकी खूबसूरती किसी का भी मनमोह लेती है. यह घाटी लद्दाख व अक्साई चीन के बिच भारत व चीन बॉर्डर के पास स्थित है. यहाँ पर LAC लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल दोनों देशो को अलग करती है यह घाटी लद्दाख से लेकर चीन के दक्षिणी शिनजियांग तक फेली हुई है
क्यों महत्वपूर्ण है गलवान घाटी || Galavan Ghatee
यह क्षेत्र भारत के लिए सामरिकरूप से बहुत ही महत्वपूर्ण है क्यों की ये गलवान शिनजियांग व लद्धाख के बिच सीमा से लगता है 1962 की लड़ाई भी इसी गलवान घाटी में हुई थी. इसके बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण की एक वजह यह भी है की गलवान घाटी भारत व चीन के साथ साथ पाकिस्तान से भी लगती है. वही भारत इस वक्त उन क्षेत्रो पर अपना दावा मजबूत कर रहा है जिन्हें भारत अपना मानता है लेकिन वो विवादित है
आखिर इसका नाम गलवान घाटी( Galavan Ghatee ) ही क्यों पड़ा …
गलवान घाटी पूर्वी लद्धाख के अक्साई चीन के इलाके में है, चीन वर्षो से इस पर अपना दावा जताता आ रहा है किसी भी क्षेत्र की वास्तविक स्थिति के पीछे उसके इतिहास का अहम् रोल होता है, अगर इसी इतिहास के पन्नो को गलवान की और मोड़े तो सचाई चीन के विपरीत है , गलवान घाटी की वास्तविक कहानी की सुरुवात 1878 में होती है लद्धाख जिले के एक परिवार में बच्चे का जन्म होता है नाम रखा जाता है गुलाम रसूल ,
यह परिवार घोड़ो का व्यापार करता था और यहाँ घोड़ो के व्यापार करने वालो को गलवान कहा जाता था इसलिए गुलाम के नाम के आगे गलवान भी लगा दिया जाता है इस प्रकार पूरा नाम हो जाता है .. गुलाम रसूल गलवान
रसूल गलवान ने मात्र 12 वर्ष की उम्र में परिवार छोड़ दिया था. वे लद्दाख की घाटियों में लगातार चरवाहे के रूप में गुमते रहे जिससे उनको घाटियों, दर्रो व पहाड़ी रास्तो का अच्छा अनुभव हो गया था. यह ब्रिटिश शासन का समय था और कुछ अंग्रेज अधिकारी में ट्रेकिंग के लिए भी जाते थे उनके लिए गुलाम रसूल गलवान से अच्छा कोई गाइड नहीं था इसलिए वो हमेशा उनको साथ रखते थे
गुलाम रसूल गलवान
गलवान घाटी क्या है..1899 में एक ट्रेकिंग दल लद्धाख के पास स्थित चांग छेन्मो घाटी के उत्तर में स्थित कई इलाको का पता लगाने के लिए गया था इस दल ने दुर्गम घाटी व यहाँ से बहने वाली नहीं के उद्गम स्थल का तो पता लगा लिया लेकिन मोसम ख़राब होने व रास्ता भुलने के कारण वही फस गए . एसी स्थिति में गुलाम रसूल गलवान ने उनको घाटी से बाहर निकाला और उनकी जिन्दगिया बचाई .
ट्रेकिंग दल के अग्रेज अधिकारी इससे काफी खुश हुए व गुलाम रसूल गलवान से जो चाहे वो मांगने को कहा गया, इस समय Ghulam Rasool गलवान ने कुछ भी लेने से इंकार कर दिया और कहा की अगर वो कुछ देना चाहते हो तो इसका नाम मेरे नाम पर कर दिया जाये और इस तरह इस घाटी का नाम गलवान घाटी रख दिया गया .
अब समझ सकते है की जिस क्षेत्र की खोज से लेकर नामकरण तक भारत से जुड़ा हुआ है उस पर चीन बेशर्मी से अपना हक़ जता रहा है .
क्या क्या किया जा रहा है गलवान घाटी( Galavan Ghatee )में
भारत अब 1962 की तुलना में बहुत बदल गया है, भारत अपनी सम्प्रभुता व अखंडता को बनाये रखने के लिए प्रतिबद्ध है , गलवान में सड़क निर्माण कार्य बहुत ही तेजी के साथ किया जा रहा है वही लकड़ी के पुल को कंक्रीट से बनाया जा रहा है ताकि सेना को आने जाने में आसानी हो सके. और यही से चीन को दिकत है चीन भारत के विकाश कार्यो को रोकने के लिए ही एसी बुझदिल हरकते कर रहा है
चीन को क्या दिक्कत है गलवान से || Galavan Ghatee
असल में चीन के लिए गलवान घाटी तो सिर्फ बहाना है .वजग कुछ और ही है
- भारत अपने इलाके में सड़क बना रहा है असल में चीन इसी को रोकने के लिए पेतरे कर रहा है
- हालही में भारत ने FDI के नियमों में काफी बदलाव किया है, इससे चीनी कंपनियों को भारत में इन्वेस्ट करने में दिकत हो रही है इसी से चीन बोखलाया हुआ है
- भारत अमेरिका के बढ़ते संबंध ही चीन की सबसे बड़ी समस्या है इसलिए चीन भारत पर दबाव बनाना चाहता है .
- कोरोना महामारी को लेकर चीन दुनिया भर में अकेला पड़ गया है
- चीन को अपनी ही धरती पर ही अपने ही लोगो के विरोध का सामना करना पड़ रहा है इसलिए सीमा मुदा उछालकर कर लोगो के गुशे को कम करना चाहता है .
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