विवाह,एक सामाजिक समझौता || भारत में विवाह संबंधी कानून|| Social Agreement
Social Agreement….कुछ ही दिनों बाद शादियों की शिजन सुरु होने वाली है , इस वर्ष मार्च महीने से ही CORONA के साथ ही शादियों पर ब्रेक लग गया था …हालाँकि बिच बिच में कुछ प्रोग्राम हुए फिर भी ज्यादातर लोगो को लोकडाउन हटने के बाद धूमधड़ाके के साथ प्रोग्राम्स करने का विचार था पर कोरोना वाइरस कम होने की बजाये बढता ही जा रहा है इस लिए …. सामाजिक समझौता…..एक खास रिपोर्ट शादी के बंधन से लेकर …कोरोना की जागरूकता तक ……#सर…..मुकेश रणवा
What is…E – Sim | आईए जानते है क्या होता है E – SIM
सामाजिSocial Agreement ….मानव अपने वंशवृक्ष को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए विवाह करता है । विवाह की उम्र के संदर्भ में दुनिया भर के तकरीबन सभी देशों में निश्चित आयु तय की गई है जो वहां की लोक परम्पराओं के तहत निश्चित की गई है।।
आधुनिक काल में भारत में विवाह संबंधी कानून… Social Agreement
✓एज ऑफ कंसेंट एक्ट
अंग्रेजी हुकूमत के समय का कानून जो 1891 में पास हुआ था….. इसमें शारीरिक सम्बन्ध बनाने के लिए लड़कियों की सहमति की उम्र (यानी एज ऑफ कंसेंट) को 12 साल कर दिया गया था।
✓शारदा एक्ट
1929 में एक बिल ‘चाइल्ड मैरिज रीस्ट्रेंट एक्ट’….इसे ही शारदा एक्ट कहा गया, क्योंकि 1927 में इसे पेश करने में अहम भूमिका अदा करने वाले व्यक्ति राय साहिब हरबिलास शारदा थे। एक्ट में पहले लड़की की शादी के लिए न्यूनतम आयु 14 वर्ष रखी गई और लड़कों के लिए 18 वर्ष……. 1 अप्रैल 1930 को ये कानून पूरे ब्रिटिश भारत में लागू किया गया……।
✓वर्तमान में प्रचलित प्रमुख कानून… Social Agreement
इंडियन क्रिश्चियन मैरिज एक्ट …1872, पारसी मैरिज एंड डिवोर्स एक्ट….1936, स्पेशल मैरिज एक्ट …..1954 और हिन्दू मैरिज एक्ट …1955
सभी के अनुसार शादी करने के लिए लड़के की उम्र 21 वर्ष और लड़की की 18 वर्ष होनी चाहिए…… इसमें धर्म के हिसाब से कोई बदलाव या छूट नहीं दी गई है।
✓बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006
जिसके मुताबिक़ 21 साल और 18 साल से पहले की शादी को बाल विवाह माना जाएगा. ऐसा करने और करवाने पर दो साल की जेल या एक लाख तक का जुर्माना या दोनों हो सकता है..... इसमें कुछ ध्यान देने वाली बातें है...
- इस अधिनियम के अंतर्गत 21 वर्ष से कम आयु के पुरुष या 18 वर्ष से कम आयु की महिला के विवाह को बाल विवाह की श्रेणी में रखा जाएगा।
- इस अधिनियम के अंतर्गत बाल विवाह को दंडनीय अपराध माना गया है।
- साथ ही बाल विवाह करने वाले वयस्क पुरुष या बाल विवाह को संपन्न कराने वालों को इस अधिनियम के तहत दो वर्ष के कठोर कारावास या 1 लाख रूपए का जुर्माना या दोनों सज़ा से दंडित किया जा सकता है किंतु किसी महिला को कारावास से दंडित नहीं किया जाएगा।
- इस अधिनियम के अंतर्गत किये गए अपराध संज्ञेय और गैर ज़मानती होंगे।
- इस अधिनियम के अंतर्गत अवयस्क बालक के विवाह को अमान्य करने का भी प्रावधान है
2020 में किए गए प्रमुख बदलाव….
बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम (Prohibition of Child Marriage Act), 2006 की धारा 9 में उल्लिखित बिंदुओं को पुनर्व्याख्यायित किया है।
सर्वोच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति मोहन एम शांतानागौदर की अध्यक्षता वाली पीठ ने बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 की धारा 9 की पुनर्व्याख्या करते हुए कहा है कि बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम के तहत 18 से 21 वर्ष की आयु के पुरुष को वयस्क महिला से विवाह करने के लिये दंडित नहीं किया जा सकता है।
गौरतलब है कि बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 की धारा 9 के अनुसार, यदि अठारह वर्ष से अधिक आयु का वयस्क पुरुष बाल-विवाह करेगा तो उसे कठोर कारावास, जिसके अंतर्गत दो साल की जेल या एक लाख रुपए तक का जुर्माना या दोनों सज़ा हो सकती है।
सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार, यह अधिनियम न तो विवाह करने वाले किसी अवयस्क पुरुष को दंड देता है और न ही अवयस्क पुरुष से विवाह करने वाली महिला के लिये दंड का प्रावधान करता है……क्योंकि यह माना जाता है कि विवाह का फैसला सामान्यतः लड़के या लड़की के परिवार वालों द्वारा लिया जाता है और उन फैसलों में उनकी भागीदारी नगण्य होती है|
गौरतलब है
कि इस प्रावधान का एकमात्र उद्देश्य एक पुरुष को नाबालिग लड़की से विवाह करने के लिये दंडित करना है…… न्यायालय ने इस संदर्भ में तर्क दिया कि बाल विवाह करने वाले पुरुष वयस्कों को दंडित करने के पीछे मंशा केवल नाबालिग लड़कियों की रक्षा करना है।
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि यह अधिनियम 18 वर्ष से 21 वर्ष के बीच के लड़कों को विवाह न करने लिये भी एक विकल्प प्रदान करता है।
गौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय ने यह फैसला पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के उस फैसले के संदर्भ में दिया है जिसमें उच्च न्यायालय ने 17 वर्ष के एक लड़के को 21 वर्ष की लड़की से विवाह करने पर इस कानून के तहत दोषी ठहराया था।
सर्वोच्च न्यायालय ने उच्च न्यायालय के आदेश को दरकिनार करते हुए कहा कि धारा 9 के पीछे की मंशा बाल विवाह के अनुबंध के लिये किसी बच्चे को दंडित करना नहीं है।
शादियों में कोरोना से केसे बचे …
मोसम तेजी बदल रहा है वही आने वाले कुछ दिनों बाद शादियों का सीजन सुरु होने वाला है जिससे कोरोना वाइरस और भी ज्यादा विकराल रूप ले सकता है हालाँकि इससे निपटने के लिए सरकार ने अभी से जरुरी कदम उठाने चालू कर दिए है फिर भी इस बीमारी से लड़ने के लिए सभी को अपनी अपनी जिमेदारी निभानी चाहिए ……..
- शादियों में कम से कम लोगो को आमंत्रित करे…..
- शादी में शामिल होने वाले सभी लोगो को सामाजिक दुरी और मास्क के लिए विशेष रूप से बोले
- शादी में बाहर से आने वाले मेहमानों से ज्यादा खतरा रहता है क्यों की ये लोग लम्बी यात्रा कर के आते है इस लिए इसे मेहमानों को आते ही अलग रहने की व्यवस्था करे व् जल्द से जल्द मेडिकल चेकप कराये
- खाने की वस्तुओ पर विशेष ध्यान दे ….जहा तक तो खाने बनाने वालो की पहले ही पूरी जानकारी व् मेडिकल कराये
- खाने का मिन्यू शोर्ट रखे
- नवजात शिशु व बच्चो का जितना हो सके दूर रखे व् शादी के तुरंत बाद एक बार सभी बच्चो का चेकप जरुर कराये
- मास्क व सैनिटाईजर की पूरी व्यवस्था करे बाहर से आने वाले प्रतेक व्यक्ति को हाथ साफ करना अनिवार्य करे
ध्यान दे अगर आप दुकानदार है या फिर आप किसी ऑफिस, मौल, वर्कशॉप के ऑनर है तो अपने शॉप पर अग्निसमन यंत्र यानि आग बुझाने का सिलेंडर जरुर रखे … इसमे सबसे बड़ी प्रोब्लम ये होती है की कहा से ख़रीदे, कैसे ख़रीदे …….तो इसका लिंक दिया गया जहा से आप इसे खरीद सकते हो
बहुत शानदार जी
Thank you!!1